Friday 5 June 2020

विश्व पर्यावरण दिवस-२०२०


                पर्यावरण, जैसा कि नाम ही इंगित करने के लिए पर्याप्त है- परि यानि चारों ओर तथा आवरण यानि कोष अथवा खोल. हम कल्पना कर सकते हैं कि कोई भी आवरण जो अपने अंदर सिमटे हुए भाग को सुरक्षा देने के उद्देश्य से बनाया गया है, यदि क्षतिग्रस्त होता है तो भीतरी भाग के क्षतिग्रस्त होने की संभावनाएं बढ़ जातीं हैं. पर्यावरण इस पूरी पारिस्थितिकी की त्वचा के समान होता है जो न केवल बाहरी दबावों से इसकी सुरक्षा करता है बल्कि इस तंत्र के समुचित संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. पर्यावरण में केवल जीवन का ही विचार नहीं किया जाता, इसमें निर्जीव संरचनाओं की भी उतनी ही बड़ी भूमिका है जितनी कि जीवों की. नदियाँ, पर्वत श्रृंखलाएँ, सघन वन, रेतीले रेगिस्तान, उत्तुंग हिमशिखर कहने को भले ही निर्जीव हों, लेकिन ये जीवन के अनेकानेक रूपों के अस्तित्व के लिए उपयुक्त आश्रयस्थल हैं.
                 विगत दशकों में वैज्ञानिक प्रगति ने भौतिक साधनों में अभूतपूर्व वृद्धि की है और इसका प्रभाव कहीं न कहीं पर्यावरण पर भी पड़ा है. तथाकथित विकास के क्रम में संचालित अनेक उपक्रमों और मानव गतिविधियों के कारण बढ़ते प्रदूषण ने पर्यावरण के मानकों को अनदेखा किया है और इसका परिणाम भी हमारे सम्मुख आने लगा है. ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में अभूतपूर्व वृद्धि के कारण पृथ्वी को हानिकारक सौर विकिरण से सुरक्षा प्रदान करने वाले ओजोन परत में क्षरण, वनों और वृक्षों के कटान से जलवायु में ऋणात्मक परिवर्तन तथा वन्य जीवों के आवासों का विनष्टीकरण, सघन कृषि पद्धतियों के प्रयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति का क्षरण, आदि के अतिरिक्त पर्यावरण पर अनेकानेक सूक्ष्म प्रभावों से हमारे जीवन का कोई भी भाग अछूता नहीं रह गया है.
                  पर्यावरण के संरक्षण और इसके संबंध में जागरूकता फैलाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा प्रतिवर्ष 5 जुलाई को विश्व पर्यावरण दिवस-वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे अथवा डब्ल्यूईडी आयोजित किया जाता है. इसे सबसे पहले वर्ष 1974 में आयोजित किया गया था. विश्व पर्यावरण दिवस का आयोजन पर्यावरण से संबंधित विभिन्न विषयों की चर्चा के लिए एक वैश्विक मंच प्रदान करता है. इसमें प्रतिवर्ष विश्व के 143 देशों द्वारा प्रतिभाग किया जाता है. प्रतिवर्ष विश्व पर्यावरण दिवस की एक मुख्य विषय वस्तु अथवा इसका एक थीम निर्धारित किया जाता है. इस वर्ष का थीम है, जैविक विविधता या जैव विविधता. इस वर्ष का विश्व पर्यावरण दिवस जर्मनी की सहभागिता से कोलंबिया द्वारा आयोजित किया जाना है. कोलंबिया विश्व का जैविक विविधता वाला एक बहुत बड़ा देश है जो पूरे विश्व की कुल जैव विविधता का 10% भाग धारित करता है. अमेज़न वर्षा वनों का भाग होने के कारण कोलंबिया पूरे विश्व में चिड़ियों और ऑर्किड  की प्रजातियों में विविधता के लिए प्रथम स्थान पर आता है और पादप विविधता, तितलियों, मीठे पानी की मछलियों और  उभयचरों  की प्रजातियों  के मामले में  द्वितीय स्थान पर है. ऐसे समय में जबकि लगभग दस लाख प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर हैं, इस महत्वपूर्ण दिवस के आयोजन के लिए जैव विविधता से अधिक उपयुक्त और कोई विषय होना कठिन है.
              जैव विविधता पृथ्वी पर पाए जाने वाले जीवन के सभी रूपों का और उसके आनुवंशिक संरचना के आधार पर इसमें विविधता को रेखांकित करता है. हमारे जीवन के लिए आवश्यक सभी वस्तुओं की पूर्ति के लिए विशेषकर मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बहुत सारे पारिस्थितिक तंत्रों का समुचित रूप से संचालन आवश्यक होता है जिनके कारण और जिनके माध्यम से हमें हमारे जीवन के लिए उपयोगी वस्तुएं प्राप्त होती हैं.  जैव विविधता को पहुंचने वाले जोखिम के कारण इन पारिस्थितिक तंत्रों का समुचित संचालन संभव नहीं होगा जिसके परिणामस्वरूप  हमारे जीवन  की मौलिक आवश्यकताओं की पूर्ति बाधित होगी. इसके अतिरिक्त  स्वास्थ्य संबंधी और रोजगार संबंधी अनेक सामाजिक समस्याएं उत्पन्न होंगी जो पृथ्वी पर मानव जीवन के लिए समस्याओं का अंबार लगा सकती हैं.
                   विगत कुछ महीनों में कोविड-19 के अबाधित  प्रसार ने इस बात को पुन: रेखांकित किया है कि यदि हम जैव विविधता को नष्ट करेंगे तो हम उस पूरे तंत्र को नष्ट करेंगे जो कि मानव जीवन को किसी न किसी रूप में सहायता अथवा समर्थन प्रदान करता है.  एक अनुमान के अनुसार पूरे विश्व में लगभग 10 लाख लोग प्रतिवर्ष ऐसी बीमारियों से मरते हैं जो कोरोनावायरस इसके कारण उत्पन्न होती हैं और इतना ही नहीं,  मनुष्य को प्रभावित करने वाली सभी संक्रामक बीमारियों में से दो तिहाई बीमारियां ऐसी हैं जो जानवरों से मनुष्यों में फैलती है. कोविड-19 के संबंध में एक बात और भी ध्यान देने योग्य है कि जैसे ही लॉकडाउन के कारण मानव गतिविधियों पर विराम लगा प्रकृति ने तेजी से मानव द्वारा दिए गए घावों को भरते हुए अपने आप को स्वस्थ करना प्रारंभ कर दिया. नदियों का पानी इतना स्वच्छ हो गया जितना पहले कभी न था. वायु की गुणवत्ता इतनी सुधर गई कि सुदूर क्षेत्रों से हिमालय की हिमाच्छादित चोटियों के दर्शन होने लगे. यह और कुछ नहीं प्रकृति द्वारा मनुष्य को दिया जाने वाला स्पष्ट संदेश है कि अपने साथ साथ जीवन के अन्य रूपों का भी ध्यान रखना उतना ही आवश्यक है जितना कि अपने जीवन की चिंता करना.
                 आइए, इस पर्यावरण दिवस पर हम संकल्प लें कि प्रत्येक स्तर पर जैव विविधता का न केवल संरक्षण करेंगे बल्कि इसके संरक्षण के लिए किए जाने वाले सभी प्रयासों को अपना सक्रिय समर्थन प्रदान करेंगे.