Friday 8 June 2018

धान की फसल को रोगों तथा कीटों से बचाने के लिए बीज उपचार करें


धान की फसल को रोगों तथा कीटों से बचाने के लिए बीज उपचार करें
खरीफ मौसम के आगमन के दृष्टिगत काशी हिन्दू विश्वविद्यालय-कृषि विज्ञान केन्द्र, बरकछा, मीरजापुर के फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ. जय पी. राय की सलाह है कि किसान बन्धु धान की फसल को रोगों तथा कीटों से बचाने के लिए बुआई से पूर्व बीजों का उपचार अवश्य करें। बीज उपचार अनेक फसल सुरक्षा समस्याओं का एक छोटा, अल्प  श्रमसाध्य, अत्यन्त सस्ता तथा बहुत ही प्रभावी उपाय होता है। धान की फसल में आक्रमण करने वाले विभिन्न रोगों तथा कीटों के लिए अलग-अलग प्रकार के बीज उपचार प्रभावी होते हैं। इनमें धान के कवकजनित रोगों तथा मूल सम्बन्धी समस्याओं के लिए ट्राइकोडर्मा के संरूप की ५ से १० ग्राम मात्रा का प्रति किग्रा बीज के उपचार के लिए प्रयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त जैव अभिकर्मक की अनुपलब्धता की स्थिति में कवकनाशी रसायनों का प्रयोग किया जा सकता है। इनमें बेनलेट अथवा मैंकोजेब रसायन प्रमुख हैं जिनकी ३ ग्राम मात्रा का प्रति किग्रा धान के बीजों के उपचार के लिए प्रयोग किया जाता है। धान की फसल के जीवाणुजनित रोगों जैसे जीवाणु पर्णच्छद झुलसा की रोकथाम के लिए स्यूडोमोनास फ्लुओरेसेन्स के ०.५ प्रतिशत घुलनशील चूर्ण संरूप की १० ग्राम मात्रा से प्रति किग्रा धान के बीजों का उपचार किया जाता है।
कीटों तथा सूत्रकृमियों से छुटकारा पाने के लिए बीजों का उपचार मोनोक्रोटोफ़ॉस नामक रसायन के ०.२  प्रतिशत जलीय घोल में बीजों को ६ से ८ घण्टों तक डुबाकर करना चाहिए। दीमकों के प्रकोप वाले स्थानों पर क्लोरपाइरीफ़ॉस नामक रसायन की ३  ग्राम मात्रा से प्रति किग्रा धान के बीज का उपचार करना चाहिए।


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